
blog address: https://www.omsangeet.com/2021/06/blog-post_18.html
keywords: ras ki paribhasha,Ras ,Lalitkala,
member since: Aug 17, 2021 | Viewed: 624
Ras || Lalitkala || Ras Ki Paribhasha ||
Category: Education
रस , सौंदर्य , राग - रागिनी तथा ललित कलाओं के अन्तर्सम्बन्ध भारतीय सस्कृति में सौंदर्य का लक्ष्य बिंदु सुंदरता ना होकर रस है। यह काव्य का मूल आधार प्राणत्व अथवा आत्मा है। रस आनंद का स्रोत है , जिसकी संगीत में उत्पत्ति शब्द , लय ,स्वर एवं ताल से होती है। सभी कलाओं में व्याप्त होने के कारण इसे रसानुभूति आनंदानुभूति प्राप्त कराने वाला (लक्ष्य) माना गया है। रस संगीत में सुंदरता की वृद्धि के लिए रस एक आवश्यक तत्व है। रस काव्य का मूल आधार है प्राणत्व अथवा आत्मा है। रस का सम्बन्ध सृ धातु से माना गया है ,जिसका अर्थ है जो जो बहता है अर्थात जो भाव रूप में ह्रदय में बहता है उसे रस कहते हैं। एक अन्य मान्यता के अनुसार रस शब्द रस , धातु और अच् प्रत्यय के योग से बना है ,,जिसका अर्थ है जो बहे अथवा जो आस्वादित किया जा सकता है। साधारणतया हम रस का अनुभव कर ही भावाभिव्यक्ति कहते हैं। किसी भी भावनात्मक प्रस्तुति के लिए रसोनिष्पत्ति आवश्यक होता है या किसी भी संदर्भ में भाव के साथ रस एक प्रभावी तथ्य होता है। साहित्यशास्त्र में रस का विस्तृत वर्णन है। भरतमुनि द्वारा प्रतिपादित नाट्यशास्त्र में रस के स्वरुप , उसकी निष्पत्ति एवं अनुभूति कके विषय में रंग - मंच एवं अभिनय के माध्यम से सविस्तार वर्णन किया गया है
{ More Related Blogs }
Education
International school at Uppal ...
Jan 19, 2022
Education
Algorithm Optimization Techniq...
Apr 20, 2024
Education
Class Topper - Learning is the...
Oct 23, 2021
Education
Akademik Makale...
Nov 2, 2015
Education
Expert Essays Writers...
Jun 23, 2021
Education
How to Choose the Best Yoga Tr...
Oct 27, 2021